चेतना
एक मन, ओम, असीम अस्तित्व की स्थिति
टेलीपैथिक रूप से E.T. (Extra terrestrial) से जुड़ने के लिए हमें उस चेतना को जगाने की जरूरत है जो हमारे व्यक्तित्व में मौजूद है। हम इसे ध्यान के माध्यम से प्राप्त करते हैं और इसे प्राप्त करने के लिए आपको 5 इंद्रियों की ज़रुरत नहीं है
ध्यान
शरीर, मन और आत्मा को एक साथ बुनें: अपने दिमाग को शांत होने दें, आपका दिल शांति से और आपका शरीर तनावमुक्त होने दे।
ध्यान एक स्थिति है जो आपस में जुड़ी हुई है, जो ब्रह्मांड में हर अस्तित्व और चीज के पीछे है। इसी ध्यान के माध्यम से हम सारे ब्रह्माण्ड में जो एक चेतना छिपी है उसके ज़रिये हम E.T. के साथ संपर्क कर सकते हैं।
ध्यान मस्तिष्क को ऐसे पुनर्गठन करता है, जिससे वह सूक्ष्म ऊर्जाओं का अनुभव कर सकता है। यह हमें साधारण सीमित मानव क्षमता से परे आवृत्तियों को देखने और सुनने में सक्षम कर सकता है।
कई प्रकार के ध्यान हैं जो आपको असीम अस्तित्व की स्थिति में ले जाएंगे। जो आपके लिए काम करता है वही आपके अभ्यास में एकीकृत होता है। हम आपको हमारे अभियानों में से चुनने के लिए विभिन्न प्रकार की उन्नत ध्यान तकनीक सिखाते हैं।
जुटना
संपूर्णता उसके भागोसेअधिक है।
समुहिक जुतने कि शक्ति येह किसि व्यक्तिगत जुतने कि शक्ति से से कै गुन शक्तिशलि होति है।
हम अंतरिक्ष में संपर्क के मजबूत संकेतों को भेजने के लिए CE5 समूहों में सुसंगतता के इस सिद्धांत का उपयोग करते हैं। एक समूह को दृढ़ता से सुसंगत बनने में कुछ समय लगता है।
European Luminaries said:
“इन्सान ईस ब्रम्हांड एक भाग है, वोह भाग जो वक़्त और अंतरिक्ष से सिमित है। इन्सान अपने खयल विचार और भवनौको को दुसरोसे अलग समज्ता है। येह इक तरह का भ्रम है। येह एक किसम का मयजाल है जो हमे अपने इच्छाओँसे और कुच गिने चुने लोगों के सेन्ह से सिमित रखता है। हमरा काम इन बन्धनोंसे आज़ाद होना है और हमारे बढ़ाना है जिस्से हम सभि जीवित प्राणियोंसे और इस सृष्टि कि सरी रचनाओंसे प्रेम और दया के भाव से अपनाना चहिये। “
– अल्बर्ट आइंस्टीन
“चेतना को हमरि भौतिक दुनिया मे गिना नही जा सकता। चेतना बिलकुल मौलिक है और उसे किसिभि मामले मे गिना नही जा सकता।”
“वर्तमान हि एक ऐसि चीज़ है जिसका कोइ अन्त नहि है।”
– इरविन श्रोडिंगर
“चेतना को मे मौलिक मनता हु। मे मानता हु कि पदार्थ चेतना से व्युत्पन्न होता है। हम चेतना के पीछे छिप नहीं सकते। हम जो कुछ भी बात करते हैं और जो कुच भि हम मौजूदा मानते हैं वोह चेतना दर्शाति हे।”
– मैक्स प्लैंक
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